24 December 2012

दबंग 2 (2012)

वन मैन शो

चुलबुल 'कुंग फूपांडे (सलमान) का तबादला कानपुर होता है, या शायद उसने खुद ही लिया है। जैसा की मक्खी (अरबाज़ खान) अपने बाप से कहता है। गुंडों की हड्डी तोड़ पिटाई करके एक स्कूली बच्चे के अपहरण और एक क़त्ल की घटना को वो चुटकी में सोल्व कर देता है। 

यह फिल्म 2010 की सुपरहिट ब्लॉकबस्टर दबंग का सीक्वल है। हालांकि ये सीक्वल कम, और रीमेक ज्यादा लगती है। दबंग से सलमान एक ब्रांड बनकर उभरे और उसके बाद उनकी तीनों फिल्में (रेडी, बॉडीगार्ड और एक था टाइगर) ज़बरदस्त हिट रही। हिट का मतलब आजकल '100 करोड़ क्लब' में शामिल होना होता है। और जिस तरह टिकट रेट्स बढ़ाये गए और अगले 2 हफ़्तों तक कोई बड़ी रिलीज़ नहीं होने वाली थी, उससे अंदाज़ा लगाया गया था की ये फिल्म आसानी से '200 करोड़ क्लब' में शामिल होगी।

बहरहाल, इस फिल्म में रोमांस और एक्शन पर ज्यादा फोकस किया गया है। मिसेज पांडे (सोनाक्षी सिन्हा) अब प्रेगनेन्ट हैं और छोटे पांडेजी के आने में अब उतना ही टाइम है, जितना लगता है। दबंग की तरह इस फिल्म में भी काफी वन लाइनर्स हैं, जिसपे सलमान के 'डाइ हार्ड' फैंस जी भर के हँसते और तालियाँ पिटते हैं।

पांडेजी के सौतेले बाप और भाई भी अब उसी के साथ रहते हैं। मक्खी अब सुधर गया है और प्रजापति पांडे (विनोद खन्ना) अपनी बीवी की यादों में डूबे रहते हैं। चुलबुल द्वारा अपने बाप को छेड़ना काफी घटिया है।  फिल्म का म्यूजिक (दबंग की तुलना में) भी कमजोर है, और पुराने धुनों और दबंग की कॉपी के अलावा और कुछ नहीं है।

अरबाज़ ने सलमान के अलावा किसी एक्टर्स को उभरने का मौका नहीं दिया। और यही फिल्म का कमज़ोर पक्ष है। हाँ, दीपक डोबरियाल जरुर कुछ प्रभावित करते हैं। रही बात स्टोरी की तो आप फिल्म में स्टोरी और एक्टिंग ढूंढ़ते रह जायेंगे। लेकिन सलमान के फैन्स को इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वैसे भी वे लोग स्टोरी या एक्टिंग नहीं, बल्कि सलमान, सिर्फ सलमान को देखने जाते हैं। इस मायने में अब वो नॉर्थ के रजनीकांत बन चुके हैं। 

रेटिंग: **

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