यहाँ सब कुछ है लापता
राजपाल यादव को कॉमेडी करते हमने खूब देखा है। शुरुआत उन्होंने विलेन के रोल से की। 'मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूँ', 'मैं मेरी पत्नी और वो', 'लेडीज टेलर' और 'अंडर ट्रायल' जैसी फिल्मों में उन्होंने मुख्य भूमिका भी निभायी। इस फिल्म में उन्होंने 'एक्टिंग' की है? स्टोरी लिखी, म्यूजिक कंपोज़ की, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर भी बने।
उन्होंने टीवी और फिल्मों में छोटे-छोटे रोल करने वाले एक्टर्स को लिया, तो आशुतोष राणा जैसे सीनियर कलाकार को भी। आशुतोष जैसे बेहतरीन अभिनेता ने ये फिल्म किस मजबूरी में की, मुझे नहीं पता।
राजपाल और उनके सहयोगी कलाकार 'मकान चोरी होने' जैसी बेतुकी बात को लेकर गला फाड़ते रहे और मेरा सर दर्द बढ़ता रहा। हर 5 मिनट के बाद राजपाल अपने नौटंकी मण्डली के साथ 'अता पता लापता' करते रहे। 'एक्शन' बोलने के बाद शायद वो सेट से उठ के कहीं चले गए थे।
सेंसर बोर्ड को इस फिल्म को बैन कर देना चाहिए था। या फिर डिस्क्लेमर डाल देना चाहिये था कि 'ये फिल्म जनता के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है'। निश्चित ही ये मेरे जीवन की WORST फिल्म है। राजपाल अगर एक्टिंग तक ही सिमित रहें तो बेहतर होगा।
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