14 August 2013

चेन्नई एक्सप्रेस (2013)

"Critically Disaster & Box Office Acclaimed" इस का इस्तेमाल हम सलमान खान और अक्षय कुमार की ज्यादातर फिल्मों के लिये कर सकते हैं। इन स्टार्स के प्रशंसक इनकी फिल्मों की जी भर कर तारीफ करते हैं, समीक्षकों को गालियाँ देते हैं और फिल्म के कलेक्शन्स को लेकर खासे उत्साहित रहते हैं। चेन्नई एक्सप्रेस से इस श्रेणी में शाहरुख खान भी शामिल हो जायेंगे। 

भारत में मुख्य रूप से दो प्रकार के फिल्मकार हैं। पहले वो जिनकी फिल्में ज्यादातर विदेशी (फिल्म) फेस्टिवल्स में दिखाई जाती हैं। ऐसी फिल्में यहाँ थियेटर में रिलीज़ होने को तरसती हैं और बॉक्स ऑफिस कलेक्शन्स से कोसों दूर रहती है। दुसरे फ़िल्मकार भारतीय फेस्टिवल्स (दिवाली, ईद) के लिये फिल्में बनाते हैं। इनका मुख्य मकसद कम-से-कम १०० करोड़ (बॉलीवुड में आजकल ये ट्रेंड बन चुका है) कमाना होता है। 

निर्देशक रोहित शेट्टी की ये नौवीं फिल्म है। वह इकलौते ऐसे निर्देशक हैं जिनकी चार फिल्में (बोल बच्चन, सिंघम, गोलमाल 3 और अब चेन्नई एक्सप्रेस) १०० करोड़ क्लब में शामिल हैं। अजय देवगन के साथ लगातार आठ फिल्में बना चुके रोहित ने इस फिल्म में पहली बार शाहरुख़ के साथ काम किया है। 

शाहरुख़ ने वास्तव में, इस फिल्म के जरिये अपने आप को ट्रिब्यूट दिया है। इसमें उन्होंने राहुल का किरदार निभाया है। यह उनकी कई रोमांटिक हिट फिल्मों के किरदारों का भी नाम था। अपनी पिछली कई फिल्मों के गानों को वह और दीपिका यहाँ अजीबोगरीब तरीके से इस्तेमाल करते हैं। 

अपने दादा की मृत्यु के बाद उनकी अस्थियों को प्रवाहित करने रामेश्वरम (या छुट्टी मनाने गोवा) जा रहे राहुल की मुलाक़ात मीनाम्मा (दीपिका) से चेन्नई एक्सप्रेस में होती है। मीना को जबरन उसके गाँव कोम्बन ले जाया जा रहा होता है। उसके साथ राहुल को भी उसके गाँव जाना पड़ता है। हालांकि राहुल को कोम्बन गाँव जाने की जरूरत क्यों पड़ती है, ये स्पष्ट नहीं होता। 

गाँव में मीना के पिता का काफी दबदबा है। उसके पिता उसकी शादी तांगाबल्ली (निकितन धीर) के साथ करना चाहते हैं। इस शादी से बचने के लिये भागती मीना आखिर में राहुल को चाहने लगती है। 

दीपिका के ट्रेन में, और फिर बांकी फिल्म में बोलने का तरीका मेल नहीं खाता। फिल्म के अंत तक तो टोन उत्तर भारतीय हो जाता है। 

मुसीबत के समय भी राहुल का मजाकियापन अजीब सा लगता है। जोक्स फिल्म में जबरन ठुंसे गये हैं। लेकिन इस सब में लॉजिक ढूंढने का कोई तुक नहीं बनता। आखिरकार ये रोहित शेट्टी और टीम की एंटरटेनर है। 


शाहरुख़ अपने करियर के उस दौर में हैं, जहां उनके अभिनय के बारे में बात करना व्यर्थ होगा। लेकिन वह इससे बेहतर फिल्में कर सकते हैं। और उन्हें करनी चाहिये। 

रेटिंग: **

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