एक साधारण सी कहानी के बावजूद अगर फिल्म २०० करोड़ रूपये का बिज़नेस कर पाती है, तो इसे बेशक सलमान खान का ही कमाल माना जाएगा। दबंग से सलमान एक ब्रांड बनकर उभरे हैं। एक था टाइगर, सलमान की लगातार चौथी फिल्म है जो '१०० करोड़ क्लब' में शामिल हुयी है। सलमान की पिछली फिल्मों की तरह हम यहाँ भी कहानी और अभिनय ढूंढ़ते रह जाते हैं। लेकिन रेडी और बॉडीगार्ड (२०११) की तुलना में यह कम 'ओवर एक्टेड' फिल्म है।
फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद हमें लगा था कि ये एक स्पाई-थ्रिलर होगी। फिल्म के शुरूआती दृश्यों से हमें ऐसा लगता भी है। टाइगर (सलमान खान), एक रॉ जासूस, बॉण्ड मूवीज की तर्ज़ पर एक मिशन से लौटता है और नए मिशन पे लग जाता है। १२ सालों से उसने एक भी छुट्टी नहीं ली है, और एक के बाद एक मिशन में लगा रहता है।
लेकिन फिल्म जल्द ही एक रोमांटिक मोड़ ले लेती है। टाइगर को दुश्मन मुल्क (पाकिस्तान) की जासूस से प्यार हो जाता है। टाइगर, जो हमेशा दिमाग से सोचता था, इस बार अपने दिल की सुनता है। दोनों मुल्कों की खुफिया एजेंसीज उनके पीछे लग जाती है। लेकिन फिल्म के अंत तक वो उनको पकड़ने में कामयाब नहीं हो पाते हैं।
कबीर खान की काबुल एक्सप्रेस (२००६) और न्यू यॉर्क (२००९) एक शानदार फिल्म थी। लेकिन इस फिल्म में वो कुछ अलग नहीं कर पाए। फिल्म के हीरो सलमान खान हैं, और जाहिर है यहाँ कुछ अलग करने की गुंजाईश ख़त्म हो जाती है।
फिल्म एक ऐसी मोड़ पे आके ख़तम होती है जहां से इसके सीक्वल की गुंजाईश बढ़ जाती है। यशराज को निश्चित ही इसके सीक्वल की प्लानिंग करनी चाहिए।
रेटिंग: ***